– प्रशांत पोळ
‘कैराना’ इस विषय पर इस समय टी वी चैनलों पर बहस छिड़ी हैं. कल कैराना के सांसद श्री हुकुम सिंह ने, कैराना से विस्थापित साढ़े तीन सौ हिन्दू परिवारों की सूची जारी की हैं. तब से कुछ टी वी चैनल्स इस बात के पीछे पड़े हैं की कैराना में मुसलिम आतंकवाद नाम की कोई चीज ही अस्तित्व में नहीं हैं..!
कैराना यह उत्तर प्रदेश के शामली जिले की एक छोटीसी तहसील हैं, एक लाख लोक बस्ती की. संगीत के महशूर ‘किराना घराने’ के लिए यह छोटासा गांव जाना जाता हैं. उस्ताद अब्दुल करीम खां साहब की यह जन्मस्थली हैं. गांव पिछड़ा हैं. साक्षरता की दर मात्र ४७% हैं. और मुस्लिम बहुल हैं. २०११ की जनगणना के अनुसार यहां ६८% मुसलमान रहते हैं. यहां के पिछले छह सांसदों में से तीन सांसद मुसलमान थे.
पिछले दो वर्षों से, संगीत के इस सुरीले गांव को ग्रहण लग गया हैं. गुंडागर्दी पूरी ताकत के साथ यहाँ छाई हैं..! व्यापार – धंदों की हालत ठीक नहीं हैं. पूरे इलाके में दहशत हैं..!!
आज अभी ए बी पी न्यूज, एन डी टी वी जैसे समाचार चैनल ‘कैराना के वायरल झूठ का पर्दाफ़ाश’ जैसे शीर्षकों से स्टोरी चला रहे हैं. इन चैनलों ने अपने संवाददाता कैराना में भेजे हैं, सांसद हुकुम सिंह की उस सूची को झूठलाने के लिए..!
किन्तु दुर्भाग्य इस मीडिया वालों का ….
सूची में दिए गए वे सारे नाम, वे सारे लोग, वे सारे परिवार कैराना से गायब हैं..!
गांव के लोग भी बोल रहे हैं, की कैराना में गुंडागर्दी हैं, दहशत हैं…! टी वी वाले भी इस बात को मान रहे हैं की कैराना में गुंडागर्दी जोरों पर हैं, यहां पर जबरदस्त दहशत हैं..!
लेकिन उनके अनुसार, दहशत का, गुंडागर्दी का कोई धरम, कोई मजहब थोड़े ही होता हैं..?
हां, ये अलग बात हैं की कैराना में गुंडागर्दी करने वाले सारे मुसलमान ही हैं..!
अब ये संयोग भी तो हो सकता हैं..!!
– प्रशांत पोळ